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What is Sagargota Seeds? it's Benefits and Side effects

सागरगोटा क्या है? जानिए इसके फायदे,  नुकसान और उपयोग का तरीका


भूमिका (Introduction)

आयुर्वेद में हजारों वर्षों से जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता रहा है। इन्हीं में से एक कम प्रसिद्ध लेकिन अत्यधिक गुणकारी औषधि है – सागरगोटा (Sagargota)। इसे हिंदी में सागरगोटा बीज, संस्कृत में कण्टकारी, और अंग्रेज़ी में Bonducella seeds या Fever Nut के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Caesalpinia Bonduc है।

सागरगोटा मुख्यतः एक काँटेदार बेल होती है, जिसके अंदर के बीज गोल, सख्त और भूरे या ग्रे रंग के होते हैं। आयुर्वेद में इसे कई बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है, खासकर जोड़ों का दर्द, डायबिटीज, बुखार, पाचन तंत्र की समस्याएं, और यौन दुर्बलता जैसी स्थितियों में।

सागरगोटा क्या है? (What is Sagargota?)

सागरगोटा एक बहुत ही प्रभावशाली औषधीय गुडो से भरपूर पौधा हैं, जिसे आयुर्वेद और पुरानी बीमारियों के इलाज में प्राचीन काल से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम Caesalpinia bonducella या Caesalpinia bonduc है, और सागरगोटा को अंग्रेज़ी में "Fever Nut" कहते हैं| और इसको अलग-अलग भाषाओं में कई नमो से जाना जाता हैं जैसे संस्कृत में इसे कण्टकारी या लताकर्णिका, मराठी और गुजराती में कटकारी कहा जाता है।

इस पौधे को मुख्य रूप से गर्म और आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में पाया जाता है, जैसे कि भारत, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार और अफ्रीका जैसे भाग में| यह दिखने में झाड़ीदार और कांटेदार बेल के जैसा होता है, और जो आसपास के पेड़ों या पौधों पर फैल जाती है। इसके तीखे कांटे, गोल बीज और हरे पत्ते इसकी पहचान को और आसान बना देते हैं।

पौधे की विशेषताएं:

  • पत्ते देखने में नीम के पत्तों जैसे होते हैं लेकिन थोड़े छोटे होते हैं।
  • पौधा काँटेदार होता है, जिसके फलों के ऊपर भी कांटे होते हैं।
  • फल के अंदर 1 या 2 गोल और सख्त बीज पाए जाते हैं, जो हल्के भूरे या ग्रे रंग के होते हैं।
  • यह पौधा बहुत कम देखभाल में भी जीवित रह सकता है और औषधीय दृष्टि से अत्यंत उपयोगी होता है।

सागरगोटा के बीज (Sagargota Seeds):

सागरगोटा पौधे के बीज को सबसे अधिक औषधीय बनाने के उपयोग में लिए जाते हैं। इन बीजों से तैयार किया गया पाउडर, जिसे Bonducella Powder कहा जाता है, और इसको आयुर्वेदिक औषधियों में शामिल किया जाता है। इसका उपयोग बुखार, जोड़ों के दर्द में, पाचन समस्याओं, डायबिटीज, त्वचा रोग और यौन दुर्बलता जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:

आयुर्वेद में सागरगोटा को कफ और वात नाशक माना गया है। यह शरीर में जमे हुए विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है और अग्नि (पाचन शक्ति) को प्रबल बनाता है। इसके बीजों में मौजूद रासायनिक घटक जैसे फ्लावोनॉयड्स, एल्कालॉइड्स, टैनिन्स और सैपोनिन्स, इसे औषधीय गुणों से समृद्ध बनाते हैं।

सागरगोटा के फायदे (Benefits of Sagargota Seeds)

1. जोड़ों के दर्द में राहत

सागरगोटा में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया, जोड़ों का दर्द और सूजन जैसी समस्याओं में राहत देता है। इसका पेस्ट बनाकर दर्द वाले स्थान पर लगाया जा सकता है।

2. डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायक

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सागरगोटा के बीजों का सेवन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। यह पैंक्रियास की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है।

3. बुखार और वायरल संक्रमण में लाभकारी

इसे ‘फीवर नट’ कहा जाता है क्योंकि यह बुखार में बहुत प्रभावी है। इसमें प्राकृतिक एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत देते हैं।

4. पाचन शक्ति में सुधार

सागरगोटा का सेवन गैस, अपच, पेट दर्द और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करता है। यह पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है और भूख बढ़ाता है।

5. यौन स्वास्थ्य में सुधार

पुरुषों में कमजोरी, शीघ्रपतन और शुक्राणु की कमी जैसी समस्याओं में यह असरदार माना गया है। यह एक नैचुरल टॉनिक की तरह काम करता है।

6. इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है

इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे बार-बार बीमार पड़ने की समस्या कम होती है।

7. त्वचा रोगों में लाभदायक

सागरगोटा का लेप त्वचा संबंधी रोग जैसे फोड़े-फुंसी, दाद-खाज और खुजली में आराम देता है।

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सागरगोटा इस्तेमाल करने का तरीका (How to Use Sagargota Seeds)

चूर्ण के रूप में:

  • मात्रा: 1/2 से 1 चम्मच चूर्ण दिन में एक या दो बार
  • कैसे लें: गुनगुने पानी, शहद या दूध के साथ भोजन के बाद
  • कब तक लें: चिकित्सक की सलाह के अनुसार 3 से 6 सप्ताह

लेप के रूप में:

  • बीजों को पीसकर पानी या नारियल तेल में मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाएं।

काढ़ा (Decoction):

  • बीजों को कूटकर पानी में उबालकर छान लें और यह काढ़ा दिन में एक बार पिएं।

नोट: सागरगोटा औषधीय गुणों से भरपूर है, लेकिन किसी भी बीमारी के लिए इसका उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है।

सागरगोटा के नुकसान (Side Effects of Sagargota)

हालांकि सागरगोटा प्राकृतिक औषधि है, लेकिन यदि इसका अति सेवन किया जाए तो कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं:

  • पेट दर्द या जलन
  • कब्ज की शिकायत
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को  इसके सेवन करने में सवाधानी रखनी चाहिए|
  • अधिक मात्रा में लेने से लिवर पर प्रभाव पड़ सकता है
  • इसलिए हमेशा सीमित मात्रा में और विशेषज्ञ की सलाह पर ही इसका सेवन करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

सागरगोटा एक चमत्कारी जड़ी-बूटी है जो कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं में उपयोगी है। यह आयुर्वेद की विरासत का हिस्सा है और आधुनिक जीवनशैली में इसे शामिल करना कई बीमारियों से राहत दिला सकता है। परंतु ध्यान रहे कि इसका सेवन हमेशा संतुलित मात्रा में और योग्य वैद्य की सलाह से करें।

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