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Surprising benefits of Bala (बला (Sida cordifolia) के हैरान करने वाले फायदे)

बला: बला, जिसे अंग्रेजी में Sida cordifolia के नाम से जाना जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी है।

बला की कई जातियां पाई जाती हैं। इनमें बला, राजबला (Sida humilis Cav.), भूमिबला (Sida spinosa Linn.), अतिबला (Abutilon indicum (Linn.) Sw.), महाबला (Sida rhombifolia Linn.) और नागबला (Grewia hirsuta Vahl) एक प्रमुख पौधा है। इसके पत्ते हृदय के आकार के होते हैं और प्रत्येक गांठ पर एक पत्ता पाया जाता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। यह पौधा पूरी तरह से हरा भरा और पत्तों से भरा होता है। यहां बला के उपयोगी बारे में जानकारी आपके लिए सरल भाषा (हिंदी में सीडा कोर्डिफोलिया) में प्रस्तुत की गई है।

बला के जबरदस्फात फायदे और उपयोग (Bala Plant Benefits and Uses in Hindi)  

बला ( sida cordifolia in hindi ) का औषधीय का इस्‍तेमाल इस प्रकार से किया जाता है|: –  

1. खुजली (चकत्ते) में बला के फायदे: इसके लाभ और उपयोग (Bala Leaves Benefits in Itching in Hindi)

बला के पत्तों को पीसकर रस निचोड़ें। इससे मालिश करने से कफ दोष के कारण होने वाली खुजली और चकत्‍ते की समस्या में राहत मिल सकती है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श करें।

2. सिर के रोग में बला से लाभ (Benefits of Bala for Relief from Head Diseases in Hindi)

 बला पौधा (bala plant) की जड़ और बेल से बना द्रव्य से काढ़ा बनाएं। इसमें दूध और घी मिलाकर पकाएं। इसे ठंडा होने के बाद पी ले | 

3. आंखों की बीमारी में बला के फायदे (Bala Benefits to Treat Eye Disease in Hindi)

बला तथा बबूल के पत्‍तों को पीसकर आंखों के बाहर लगाएं। इससे आंख आने की समस्या ठीक होती है।

बला के पत्तों के साथ बबूल के पत्तों को पीसकर ऊपर से साफ कपड़े से लपेटकर टिकियां बना लें। इसे आंखों के ऊपर रखें। इससे लाभ होता है।

4. घाव सुखाने के लिए बला का पौधा फायदेमंद (Bala Uses for Healing Wound in Hindi)

बला (sida cordifolia) के पत्ते, छाल, जड़ आदि पांचों भाग से पेस्ट तैयार करें या इनका रस निकालें। इसे लगाने से हथियार के प्रहार से होने वाले घाव तुरंत ठीक हो सकते हैं।

5. शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए बला का सेवन (Bala Treats Body Weakness in Hindi)

* शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी बरियार का पौधा लाभदायक होता है। बला की जड़ की छाल के चूर्ण में बराबर भाग में मिश्री मिला लें। इसका लगभग 3-5 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ मिला कर सुबह और शाम सेवन करें।

*बला के पत्ते, छाल, जड़ आदि सभी भागों से काढ़ा बनाएं। इसे 3 मिलीग्राम मात्रा में पिलाएं।

* 50 ग्राम बला पंचांग को 3-4 लीटर पानी में पकाकर स्नान कराने से सूखे रोग में लाभ हो सकता है।

* बला को मिलाकर मयूर घी तैयार करें। इसकी बूंदों को नाक में रखने या उबटन के रूप में इस्तेमाल करने से सिरदर्द, कंठ दर्द, पीठ दर्द, मासिक धर्म के विकार, कान की बीमारी, नाक की बीमारी, आंख की बीमारी और जीभ संबंधी समस्याओं में लाभ हो सकता है (sida cordifolia medicinal uses) ।

 बला के पौधे के विभिन्न भाग: 

इसके पौधे के विभिन्न भागों को स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोग किया जाता है।

बला के कुछ मुख्य भागों और उनके संभावित लाभों की जानकारी है:

पत्तियां (Patta):

* मधुमेह नियंत्रण (Madhumeh Niyantran) में सहायक हो सकती हैं।

* घाव भरने (Ghav भरने) में मदद कर सकती हैं।

* त्वचा रोगों (Twacha Rog) जैसे सोरायसिस और एक्जिमा में भी लाभदायक मानी जाती हैं।

जड़ (Jhad):

* जोड़ों के दर्द (Jodon ka Dard) और गठिया (Gathiya) में राहत दिलाने में मददगार मानी जाती है।

* वात-पित्त दोषों को संतुलित करने में मददगार हो सकती है।

* शारीरिक कमज़ोरी दूर करने और बल बढ़ाने में भी लाभप्रद मानी जाती है।

फल (Fal):

* कब्ज (Kabj) दूर करने में मदद कर सकता है।

* मूत्र संबंधी रोगों (Mutra Sambandhi Rog) में भी लाभदायक माना जाता है।

फूल (Phool):

* खांसी (Khansi) और जुकाम ( जुकाम) जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं (Shwasan Sambandhi Samasya) से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है।

* ज्वरनाशक (Jwarnashak) गुणों के कारण बुखार कम करने में भी मदद कर सकता है।

बीज (Beej):

* वीर्य विकार (Virya Vikar) दूर करने में सहायक माना जाता है।

* शारीरिक कमज़ोरी दूर करने में भी लाभप्रद माना जाता है।

नुकसान:

* उच्च खूनदाब: अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से उच्च रक्तचाप हो सकता है, इसलिए इसे सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए।

* गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि इसके प्रयोग के बारे में अधिक जानकारी आवश्यक हो सकती है।

*अलर्जी: कुछ लोग बाला पंचांग के प्रति अलर्जी की संभावना हो सकती है, इसलिए इसका प्रयोग न करें जो इस परिस्थिति में हैं।

* Bala Panchaang का सेवन करने का तरीका (How to Take Bala Panchaang):

Bala Panchaang का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है, आमतौर पर इसे:

* चूर्ण के रूप में: 1-2 ग्राम Bala Panchaang चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 1-2 बार लिया जा सकता है।

* काढ़े के रूप में: 1 चम्मच Bala Panchaang को एक कप पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है। इसे छानकर दिन में 1-2 बार पिया जा सकता है।

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