Benefits of Giloy in Hindi
गिलोय के घरेलू नुस्खे: बुखार, डेंगू और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए रामबाण उपाय
गिलोय का परिचय (Introduction to Giloy in Hindi)
प्रकृति ने हमें कई ऐसी औषधियाँ दी हैं जिनसे बिना किसी दवा के हम स्वस्थ रह सकते हैं। इन्हीं में से एक अद्भुत औषधि है — गिलोय (Tinospora Cordifolia)। आयुर्वेद में इसे अमृता कहा गया है, जिसका अर्थ है “अमरत्व देने वाली।”
गिलोय (Giloy) एक बेलनुमा पौधा है जो पेड़ों के सहारे ऊपर चढ़ता है और अपने अनोखे औषधीय गुणों के कारण इसे “आयुर्वेद की रानी” भी कहा जाता है। भारत के लगभग हर हिस्से में गिलोय का पौधा पाया जाता है, खासकर यह नीम के पेड़ या पीपल के पेड़ों पर पाया जाता है|
यहाँ, हम जानेंगे गिलोय के फायदे, घरेलू नुस्खे, आयुर्वेदिक उपयोग, नुकसान और साथ ही जानेंगे बुखार, डेंगू और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय का रामबाण उपाय|
गिलोय क्या है? (What is Giloy in Hindi?)
गिलोय, जिसे संस्कृत में अमृता (Amrita) और हिंदी में गुडूची (Guduchi) कहा जाता है, एक बहुऔषधीय लता (बेल) है जो आयुर्वेद की सबसे महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों में से एक मानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Tinospora Cordifolia है और यह Menispermaceae परिवार से संबंधित है।
गिलोय की लता हमेशा हरी रहती है और यह आमतौर पर नीम, पीपल या आम के पेड़ पर चढ़ती है। इसकी पत्तियाँ दिल के आकार की होती हैं और तना हल्का हरा तथा गूदेदार होता है।
आयुर्वेद में गिलोय को “अमृत” कहा गया है क्योंकि यह अमरत्व का प्रतीक मानी जाती है, यानी ऐसी औषधि जो शरीर को निरोग, ऊर्जावान और रोगों से मुक्त रखती है।
गिलोय को आयुर्वेद में “सर्वरोग निवारिणी” भी कहा गया है क्योंकि यह हमारे शरीर के भीतर से रोगों को खत्म करने की शक्ति रखती है।
यह एक प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर है जो बुखार, डेंगू, मलेरिया, खांसी-जुकाम, शुगर, वायरल संक्रमण और थकान जैसी कई समस्याओं में बेहद प्रभावी साबित होती है।
गिलोय का आयुर्वेदिक परिचय और इतिहास (Ayurvedic Introduction and History of Giloy in Hindi)
इसका उल्लेख चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदयम जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में किया गया है। प्राचीन काल में गिलोय का उपयोग बुखार, मलेरिया, पीलिया, पाचन विकार, और त्वचा रोगों के उपचार में किया जाता था। आइए इसके नाम, कुल और औषधीय गुण के बारे में जानते है:
संस्कृत नाम: अमृता, गुडूची
वैज्ञानिक नाम: Tinospora Cordifolia
कुल (Family): Menispermaceae
स्वाद (Rasa): तिक्त (कड़वा)
गुण (Guna): लघु (हल्का), स्निग्ध (चिकना)
वीर्य (Virya): उष्ण (गर्म प्रकृति)
विपाक (Vipaka): मधुर
दोष प्रभाव: त्रिदोष शामक (वात, पित्त, कफ का संतुलन करता है)
आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय रसायन वर्ग की औषधि है यानी यह शरीर को निरोग, मजबूत और युवा बनाए रखती है।
गिलोय के औषधीय गुण क्या है? (What are the Medicinal Properties of Giloy in Hindi?)
इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-पायरेटिक (बुखार कम करने वाले), एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और इम्यूनो-मॉड्यूलेटरी गुण होते है| यही कारण है कि गिलोय को “नेचुरल हेल्थ टॉनिक” भी कहा जाता है। यह सभी तत्व मिलकर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते है, शरीर से विषैले पदार्थ (Toxins) को बाहर निकलते है और हर तरह के संक्रमण से रक्षा करते है|
आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय त्रिदोषनाशक औषधि है यानी यह वात, पित्त और कफ- तीनों दोषों को संतुलित करती है। गिलोय में अनेक प्राकृतिक रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जैसे कि–
- अल्कलॉयड्स (Alkaloids)
- ग्लाइकोसाइड्स (Glycosides)
- स्टेरॉयड्स (Steroids)
- पॉलीसैकेराइड्स (Polysaccharides)
- टिनोस्पोरिन (Tinosporin)
- कोलिन (Choline)
गिलोय के चमत्कारी गुण निम्न है:-
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाता है।
- शरीर से विषैले तत्व (Toxins) निकालता है।
- पाचन क्रिया को सुधारता है।
- ब्लड प्यूरिफायर के रूप में काम करता है।
- त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।
गिलोय के क्या फायदे है? (Giloy ke Fayde in Hindi/ Benefits of Giloy in Hindi)
गिलोय के चमत्कारी फायदे निम्न है, जो नीचे दी गए है:
1. बुखार और डेंगू में रामबाण इलाज
सबसे अधिक बुखार और डेंगू में गिलोय का उपयोग किया जाता है।
डेंगू या मलेरिया के दौरान शरीर का तापमान बढ़ जाता है और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। यह प्लेटलेट्स को स्वाभाविक रूप से बढ़ाने में मदद करती है और शरीर में कमजोरी को दूर करती है।
गिलोय के घरेलू नुस्खे:
- 10-15 गिलोय की डंडियाँ लेकर 2 गिलास पानी में उबालें।
- जब पानी आधा रह जाए, तो इसे छानकर सुबह-शाम पीएं।
- इसमें तुलसी के 4–5 पत्ते डालने से प्रभाव दोगुना हो जाता है।
- डेंगू या मलेरिया के मरीजों को यह काढ़ा रोज़ पीने से जल्दी राहत मिलती है।
यह काढ़ा शरीर की गर्मी को नियंत्रित करता है और शरीर में नई ऊर्जा भरता है।
2. इम्यूनिटी बढ़ाने में प्राकृतिक औषधि
आज के समय में प्रदूषण, असंतुलित खानपान और तनाव के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
यह प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर औषधि है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर की कोशिकाओं को मजबूत करते हैं और वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से बचाते हैं।
गिलोय के घरेलू उपाय:
- रोज़ सुबह खाली पेट 20 ml गिलोय रस को आधे गिलास पानी में मिलाकर पीएं।
- चाहें तो इसमें 1 चम्मच आंवला रस भी मिला सकते हैं।
यह शरीर की नेचुरल इम्युनिटी को बढ़ाता है और मौसमी संक्रमणों से बचाव करता है।
3. मधुमेह (Diabetes) में लाभदायक
गिलोय ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है।
इसे आयुर्वेद में “मधुनाशिनी” भी कहा जाता है क्योंकि यह इंसुलिन की क्रिया को प्राकृतिक रूप से बढ़ावा देता है।
गिलोय के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय:
- रोज़ सुबह 1 चम्मच गिलोय का रस खाली पेट लें|
- या फिर गिलोय पाउडर को गुनगुने पानी के साथ भी लिया जा सकता है।
इसका नियमित सेवन करने से मधुमेह के मरीजों को अत्यधिक लाभ होता है।
4. पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है
अगर आपको गैस, कब्ज, एसिडिटी या भूख न लगने की समस्या है तो यह सबसे असरदार घरेलू नुस्खा है।
यह पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करती है और भूख को बढ़ाती है।
गिलोय का आयुर्वेदिक उपयोग:
- इसके रस में थोड़ा सा अदरक का रस मिलाकर पीने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
- दिन में दो बार सेवन करने से पेट हल्का और साफ रहता है तथा भूख न लगने की समस्या दूर होती है।
5. सर्दी-जुकाम और खांसी में लाभकारी
मौसमी बदलाव के दौरान बार-बार सर्दी-जुकाम होना अब आम समस्या बन गई है।
इसके एंटी-वायरल गुण इन संक्रमणों से तुरंत राहत दिलाते हैं।
गिलोय के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे:
- गिलोय रस, तुलसी रस और शहद मिलाकर पीने से गले की खराश और खांसी जल्दी ठीक हो जाती है।
- बच्चों को भी इसका पतला काढ़ा दिया जा सकता है।
6. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद
गिलोय का सेवन करने से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं जिससे स्किन साफ और चमकदार बनती है।
यह पिंपल्स, एक्ने और दाग-धब्बों को कम करता है।
गिलोय के घरेलू उपयोग:
- गिलोय पाउडर को नींबू रस के साथ मिलाकर फेस पैक की तरह लगाएं, इससे मुंहासे कम होते है।
- गिलोय रस रोज़ सुबह खाली पेट पीने से त्वचा ग्लो करती है।
- बालों के लिए भी इसका सेवन फायदेमंद है क्योंकि यह जड़ों को पोषण देता है।
7. शरीर की थकान और कमजोरी दूर करता है
यह शरीर में एनर्जी लेवल को बढ़ाता है।
जो लोग जल्दी थक जाते हैं या लंबे समय से बीमार रहते हैं, उनके लिए गिलोय का रस टॉनिक की तरह काम करता है। यह रक्त को शुद्ध करता है और ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है।
8. जोड़ों और गठिया के दर्द में राहत
इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करते हैं।
- गठिया या आर्थराइटिस के मरीजों को गिलोय के रस में अश्वगंधा या अदरक का रस मिलाकर पीना चाहिए।
9. मानसिक तनाव और नींद की समस्या में लाभकारी
इसका सेवन मन को शांत करता है और नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
यह मानसिक तनाव, चिंता और थकान को कम करता है।
गिलोय का आयुर्वेदिक उपाय:
- सोने से पहले इसके रस में एक चम्मच शहद मिलाकर लें।
गिलोय के क्या नुकसान हो सकते है? (Side Effects of Giloy in Hindi)
हालांकि यह एक प्राकृतिक औषधि है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से गिलोय के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। गिलोय के नुकसान निम्न है:
- इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से ब्लड शुगर बहुत कम हो सकता है।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- जिन लोगों को ऑटो-इम्यून रोग या बीमारी (जैसे रूमेटाइड आर्थराइटिस या ल्यूपस) है, तो उन्हें इसका सेवन डॉक्टर से पूछकर करना चाहिए।
- लंबे समय तक बिना चिकित्सक की सलाह के गिलोय का उपयोग नुकसानदायक हो सकता है।
गिलोय का सेवन कैसे करें? (How to consume Giloy in Hindi?)
गिलोय का सेवन करने का सही तरीका निम्न है:
1. गिलोय का काढ़ा:
- 8–10 गिलोय की डंडियों को पानी में उबालें।
- जब पानी आधा रह जाए, तो छान लें।
- इसमें तुलसी, अदरक या नींबू का रस मिलाएं।
- रोज सुबह-शाम पीएं।
यह काढ़ा बुखार, डेंगू और वायरल में अत्यधिक उपयोगी है।
2. गिलोय का रस:
- बाजार में उपलब्ध इसके रस को आधे गिलास पानी में मिलाकर पीएं।
- खाली पेट पीने से अधिक लाभ होता है।
यह पाचन और त्वचा के लिए बहुत उपयोगी है।
3. गिलोय की गोली या टैबलेट:
- बाजार में Giloy Ghanvati नाम से आयुर्वेदिक दुकानों में होती है।
- प्रतिदिन एक गोली सुबह-शाम पानी या दूध के साथ लें सकते है|
4. गिलोय पाउडर:
- 1 चम्मच गिलोय के पाउडर गुनगुने पानी या दूध के साथ लें।
आयुर्वेदिक दृष्टि से गिलोय का महत्व (Importance of Giloy from Ayurvedic Point of View in Hindi?)
- आयुर्वेद में इसको “त्रिदोष हर” और “अमृत रस” कहा गया है।
- यह शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखती है।
- यह रसायन वर्ग की औषधि है यानी यह शरीर को युवा, ऊर्जावान और रोगमुक्त बनाए रखती है।
- चरक संहिता और सुश्रुत संहिता दोनों में गिलोय के औषधीय महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है।
गिलोय के इस्तेमाल कैसे करें? (How to use Giloy in Hindi?)
गिलोय का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी जरूरी होती है, नहीं तो इसके दुष्प्रभाव हो सकते है| इसके सेवन में हमें निम्न सावधानियां बरतनी जरूरी है:
- इसका सेवन हमेशा सीमित मात्रा में करें।
- 15–30 ml रस या 1 चम्मच पाउडर पर्याप्त होता है।
- बच्चों के लिए केवल 5–10 ml रस पर्याप्त है।
- किसी भी दवा के साथ इसका उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।
- बहुत ठंडी प्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
गिलोय चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि है और प्रकृति का वरदान है| यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो बुखार, डेंगू, मलेरिया, शुगर, थकान, सर्दी-जुकाम, पाचन संबंधी समस्याओं और कई तरह की बीमारियों में अद्भुत लाभ देती है। इसका नियमित और सही सेवन न केवल इम्यूनिटी को बढ़ाता है बल्कि शरीर को अंदर से शुद्ध और मजबूत भी बनाता है, साथ ही यह रोगों से लड़ने की शक्ति स्वाभाविक रूप से विकसित करता है।
“अगर हर घर में गिलोय होगी, तो हर तन-मन निरोगी होगा।”

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