Pashanbhed Benefits, Side effects and Uses
पाषाणभेद क्या है? जानिए इसके अद्भुद फायदे, नुकसान और स्वास्थ्य लाभ के लिए इसका उपयोग
पाषाणभेद (Pashanbhed)
पाषाणभेद (Pashanbhed), जिसे वैज्ञानिक भाषा में Bergenia ciliata (बर्जेनिया सिलियाटा) या Bergenia ligulata (बर्जेनिया लिगुलाटा) कहा जाता है, यह एक प्राकृतिक औषधीय जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग प्राचीन काल से आयुर्वेद और घरेलू उपचार में किया जाता रहा है। यह जड़ी-बूटी मुख्य रूप से पाचन प्रणाली, गुर्दे, मूत्र प्रणाली और पित्ताशय के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती है। प्राचीन आयुर्वेद में इसका उपयोग कई रोगों के उपचार में होता रहा है|यहाँ हम विस्तार से जानेंगे –
पाषाणभेद का क्या अर्थ है?
पाषाणभेद का इतिहास क्या है?
पाषाणभेद के मुख्य उपयोग और गुण के बारे में
पाषाणभेद के फायदे और नुकसान
पाषाणभेद की जड़ का उपयोग कैसे करें?
पाषाणभेद के आयुर्वेदिक गुण और लाभ
पाषाणभेद क्या है? (What is Pashanbhed?)
पाषाणभेद एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसे प्राचीन काल से स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोग किया जा रहा है। इसके नाम का अर्थ ही है – “पत्थर को भेदने वाला” या “पत्थर तोड़ने वाला”, क्योंकि यह जड़ी-बूटी विशेष रूप से किडनी और पित्ताशय की पथरी (Stone) को तोड़कर शरीर से बाहर निकालने में सहायक मानी जाती है।यह पौधा आमतौर पर नमी वाले स्थानों, जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके पत्ते हरे और फूल छोटे सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं।
आयुर्वेद में इसे किडनी स्टोन, पाचन संबंधी विकार, लीवर की समस्या और मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) जैसी बीमारियों में बेहद लाभकारी माना गया है।
साधारण भाषा में कहा जाए तो पाषाणभेद एक प्राकृतिक औषधि है, जो शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करती है।
पाषाणभेद का अर्थ क्या है? (Meaning of Pashanbhed)
“पाषाणभेद” शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है – ‘पाषाण’ जिसका अर्थ है पत्थर और ‘भेद’ जिसका अर्थ है तोड़ना या चीरना। इस तरह पाषाणभेद का शाब्दिक अर्थ है – पत्थर को तोड़ने वाला।यह नाम इस औषधीय पौधे को इसलिए दिया गया है क्योंकि यह विशेष रूप से किडनी स्टोन (गुर्दे की पथरी) और गॉल ब्लैडर स्टोन (पित्ताशय की पथरी) को तोड़ने और शरीर से बाहर निकालने में सहायक माना जाता है।
आयुर्वेद में पाषाणभेद को एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी के रूप में वर्णित किया गया है। यह सिर्फ पथरी ही नहीं, बल्कि मूत्र संबंधी रोग, पाचन तंत्र की समस्या, लीवर की गड़बड़ी और सूजन जैसी कई बीमारियों में उपयोग की जाती है।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो – पाषाणभेद एक प्राकृतिक औषधीय पौधा है, जिसका नाम ही इसके प्रमुख गुण को दर्शाता है यानी पत्थर (पथरी) को भेदना और शरीर को स्वस्थ बनाना।
पाषाणभेद का इतिहास (History or Pashan Bhed)
पाषाणभेद का उपयोग सदियों से आयुर्वेद में होता आया है। पुराने ग्रंथों में इसे स्वास्थ्य सुधारने वाली जड़ी-बूटी के रूप में वर्णित किया गया है। आयुर्वेद में इसे मूत्र पथ, पित्त और किडनी संबंधी समस्याओं में प्राथमिक उपचार के रूप में प्रयोग किया जाता आ रहा है|विशेष रूप से भारत, नेपाल और श्रीलंका में पत्थरचट्टा की खेती और उपयोग प्रचलित है। प्राचीन समय में लोग इसे सूखे रूप में या पाउडर बनाकर सेवन करते थे, और आज भी यह चूर्ण, कैप्सूल और तेल रूप में बाजार में उपलब्ध है।
पाषाणभेद के नाम (Pashanbhed Name in Hindi/Names of Boerhavia diffusa)
पाषाणभेद एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो अलग-अलग भाषाओं और क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Bergenia ligulata है, लेकिन आम बोलचाल और पारंपरिक चिकित्सा में इसे कई नामों से पहचाना जाता है।
पाषाणभेद के प्रचलित नाम:
संस्कृत में: पाषाणभेद, अश्मभेदक, अश्मघ्न
हिंदी में: पाषाणभेद, पत्थरचूर
मराठी में: पत्थरफोडी
गुजराती में: हडफोड
अंग्रेज़ी में: Stone Breaker, Stone Crusher Herb
वैज्ञानिक नाम: Bergenia ligulata
नामों से जुड़ी खासियत
इन सभी नामों में एक बात समान है – लगभग हर भाषा में इसका नाम “पत्थर तोड़ने” या “पत्थर भेदने” से जुड़ा हुआ है। इसका कारण यही है कि यह जड़ी-बूटी मुख्य रूप से किडनी और पित्ताशय की पथरी को तोड़ने और बाहर निकालने में मदद करती है।
पाषाणभेद के प्रकार (Types of Pashan Bhed)
पत्थरचट्टा (Patharchatta) कई प्रकार की जड़ी-बूटियों का समूह है, लेकिन मुख्यतः यह दो प्रकार में उपलब्ध है:शुद्ध पाषाणभेद (Natural Stonebreaker Herb)
- यह कच्ची जड़ी-बूटी होती है, जिसे सुखाकर या पाउडर बना कर उपयोग किया जाता है।
- मुख्य रूप से मूत्र पथ और पित्ताशय के लिए लाभकारी।
संशोधित या प्रोसेस्ड पाषाणभेद
- इसमें हर्बल अर्क और अन्य औषधीय घटक मिलाकर तैयार किया जाता है।
- इसे कैप्सूल, गोली या तेल के रूप में लिया जा सकता है।
पाषाणभेद के मुख्य रासायनिक घटक
पाषाणभेद में कई जैविक और रासायनिक घटक पाए जाते हैं, जो इसके स्वास्थ्य लाभ के लिए जिम्मेदार हैं:
सैपोनिन्स (Saponins): ये मूत्र पथ को साफ करने और पथरी को तोड़ने में मदद करते हैं।
फ्लावोनोइड्स (Flavonoids): यह शरीर में सूजन कम करने और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं।
टेरेपिनॉइड्स (Terpenoids): जिगर और किडनी को सुरक्षित रखते हैं।
विटामिन और मिनरल्स: इसमें कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं।
इन रासायनिक तत्वों की वजह से पत्थरचूर को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी और प्राकृतिक औषधि माना जाता है।
पाषाणभेद के अद्भुत फायदे (Pashanbhed ke Fayde in Hindi/ Benefits of PashanBhed)
यह एक बहुत ही उपयोगी हर्ब है। पत्थरचट्टा के फायदे इस प्रकार हैं:
1. किडनी और मूत्र पथ के लिए लाभकारी
पाषाणभेद जड़ की सबसे प्रसिद्ध उपयोगिता किडनी स्टोन और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) में होती है। यह मूत्र को साफ करता है और पथरी को धीरे-धीरे घोलकर शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है।
2. पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है
यह जड़ी-बूटी पेट की गर्मी और एसिडिटी को कम करती है। पाचन शक्ति को सुधारने के लिए इसे अक्सर चूर्ण या अर्क के रूप में लिया जाता है।
3. लीवर और पित्ताशय के लिए फायदेमंद
पाषाणभेद लीवर और पित्ताशय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह पित्त संबंधी समस्या जैसे कि पित्त की थैली में पथरी और सूजन को कम करता है।
4. डायबिटीज में लाभकारी
कुछ शोधों में यह पाया गया है कि पाषाणभेद ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए इसे प्राकृतिक सहायक माना जाता है।
5. वजन नियंत्रण में सहायक
यह शरीर में जमा अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद करता है और मेटाबोलिज्म को तेज करता है।
6. एंटीऑक्सीडेंट और रोग प्रतिरोधक क्षमता
पाषाण भेद में मौजूद फ्लावोनोइड्स और अन्य एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं।
7. सर्दी-जुकाम और सूजन में राहत
यह हर्ब सर्दी, खांसी और शरीर में सूजन को कम करने में भी फायदेमंद है।
पाषाणभेद के नुकसान और सावधानियां (Side Effect of Pashanbhed)
हालांकि पाषाणभेद प्राकृतिक हर्ब है, लेकिन इसका अत्यधिक या गलत उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बचना चाहिए:
अत्यधिक सेवन से गर्भवती महिलाओं में उल्टी, पेट दर्द या अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।
बच्चों में सीमित मात्रा में ही उपयोग करें:
छोटे बच्चों को इसे बिना डॉक्टर की सलाह के न दें।
अत्यधिक सेवन से पेट की समस्या हो सकती है:
ज्यादा मात्रा में लेने से पेट दर्द, दस्त या उल्टी हो सकती है।
किडनी की गंभीर बीमारी में डॉक्टर की सलाह जरूरी:
अगर कोई व्यक्ति पहले से किडनी रोग या यूरिनरी समस्या से पीड़ित है, तो बिना विशेषज्ञ की सलाह पाषाणभेद का सेवन न करें।
पाषाणभेद का उपयोग कैसे करें? (How to Use Pashanbhed?)
पाषाणभेद जड़ का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि:
1. पाषाणभेद चूर्ण (Powder)
पाषाणभेद जड़ (Pashan Bhed Root)को सुखाकर पीस लें।
इसे गर्म पानी या दूध के साथ लें।
रोज़ाना 1-2 ग्राम पर्याप्त होता है।
2. कैप्सूल या टैबलेट
बाजार में उपलब्ध पाषाण भेद कैप्सूल को निर्देशानुसार लें।
कैप्सूल का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।
3. तेल और अर्क (Extract)
कुछ लोग पाषाणभेद जड़ का अर्क या हर्बल तेल मालिश या सेवन के लिए इस्तेमाल करते हैं।
यह विशेष रूप से लीवर और पित्ताशय की समस्याओं में फायदेमंद है।
4. हर्बल चाय
पत्थरचट्टा जड़ को हल्का भूनकर पानी में उबालें।
इस चाय को दिन में 1-2 बार पीने से पाचन और किडनी की समस्या में राहत मिलती है।
पाषाणभेद पौधे की पहचान कैसे करें?
पत्तियां: चौड़ी, मोटी और गोल आकार की हरी पत्तियां।
फूल: छोटे-छोटे गुलाबी या सफेद फूल गुच्छों में खिलते हैं।
जड़: मोटी और राइजोम (Rhizome) जैसी जड़ें, जिन्हें सुखाकर औषधीय उपयोग किया जाता है।
ऊंचाई: इसका पौधा लगभग 30–60 सेंटीमीटर तक ऊंचा होता है।
पाषाणभेद और अन्य हर्ब्स के साथ संयोजन
पत्थरचट्टा को कुछ अन्य हर्ब्स के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है, जिससे इसके लाभ बढ़ जाते हैं:
- भृंगराज और हल्दी: लीवर और पित्ताशय के लिए
- गिलोय और अश्वगंधा: इम्यून बढ़ाने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए
- त्रिफला: पाचन और कब्ज़ में राहत के लिए
पाषाणभेद खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
- शुद्ध और प्रमाणित उत्पाद ही खरीदें
- नकली या मिलावटी उत्पाद आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- प्राकृतिक रूप या आयुर्वेदिक ब्रांड से ही खरीदें
- कैप्सूल, चूर्ण या अर्क हमेशा विश्वसनीय ब्रांड से लें।
- संरक्षण और भंडारण
- इसे ठंडी और सूखी जगह में रखें।
- अधिक गर्मी और नमी से इसका गुण प्रभावित हो सकता है।
निष्कर्ष
पाषाणभेद एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी और शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधीय है जो किडनी, मूत्र मार्ग, पाचन और लीवर की समस्याओं में बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसे सही मात्रा और सही तरीके से लेने पर यह शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने में मदद करती है। लेकिन इसका ज्यादा उपयोग या बिना डॉक्टर की सलाह के सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। अगर पत्थरचट्टा का उपयोग नियमित और सही तरह से किया जाए, तो यह आपकी सेहत और जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।